Sunday, August 6, 2023

अमीर आलम परिवार का राजनैतिक सफरनामा


इस दौरे सियासत का इतना सा फरमान है। बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है। ये शायरी आज कल के राजनेताओं पर सही बैठ थी हैं। वैसे तो आज कल हर कोई राजनीति मे बने रहने के लिए तरह तरह के हथकंडों को आजमाते है। की कैसे वह मीडिया मे बने रहे उसके लिए राजनेता किसी भी हद तक जा सकते है। भाई भाई को लडा सकते है। सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ के दंगे भड़का थे रहते है। शहर और प्रदेश के माहौल को खराब करते हैं। लेकिन सच्चा राजनेता वही रहता है। जो समाज को जोड़ कर चले सद्भावना को बनाए रखे आपसी भाईचारा ना बिगड़ने दे अगर भाई चारा बिगड़े भी तो उसको संभाले यही एक सच्चे नेता की पहचान है। नेता वही है जो समाज के हर वर्ग को जोड़ के चले 

जात पात धर्म मजहब की राजनीति से ऊपर उठ कर बात करे समाज का हर वर्ग केसे जीवन की मूलभूत सुविधाओं को पा सके समाज का हर वर्ग स्वास्थ, शिक्षा और भोजन जैसी मूलभूत सुविधाओं को दिलाने में मददगार हो ये एक नेता का कर्म और धर्म होता है।

ऐसा ही एक राजनीतिक राजघराने की बात आज हम करेंगे जिसने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह से लेकर चौधरी अजीत सिंह और अब उनके पुत्र श्री जयंत चौधरी तक के दौर की राजनीति मे काम किया और हर दौर में समाज के हर वर्ग को साथ लेकर राजनीति मे काम किया उन्होंने कभी ये जात बिरादरी या धर्म को देख कर काम ना किया बल्कि जो भी एक सच्चे राजनेता का धर्म होता है। वही धर्म को लेकर काम किया 


काम करो ऐसा की एक पहचान बन जाएं हर कदम ऐसा चलो की निशान बन जाएं यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है। जिंदगी जियो इस कदर की मिसाल बन जाएं। ऐसी ही एक मिसाल बनने वाले पश्चमी उत्तर प्रदेश के सब से ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले जिले मुज्जफरनगर के आलम परिवार की बात हम कर रहे है जिन्होंने अपने दम पे उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में से एक पूर्व सांसद मुन्नवर हसन को कैराना लोकसभा के राजनीति दंगल में मात देकर खुद दिल्ली की संसद में जाकर विराजमान हुए थे  और जिनका शामली और मुज्जफरनगर दोनो जिलों में बराबर का वजूद है।जी हां हम बात कर रहे है लोगों के दिलों में राज करने वाले समाज के रखवाले शामली जिले के गढीपुख्ता के मूल निवासी और हम सब के प्रिय नेता जिन्होंने सांसद प्रदेश सरकार में मंत्री और विधायक सब पदों पर रहकर भी लोगों की सेवा और समाज के उद्धार के लिए काम किया और हमेशा सादगी भरी जिंदगी जीते है जिन्हे लोग उनके इलाके के राजा महाराजा की तरह मान थे है। हमारे प्रिय नेता पूर्व सांसद जनाब अमीर आलम खान और उनके पुत्र और पूर्व विधायक जनाब नवाजिश आलम खान अमीर आलम खान का परिवार राजनीति का आ तक नही जानता था वह युवक जो क्रिकेट के मैदान से अपनी पहचान बनाना चहाता था उसको क्या पता था वक्त उसको राजनीति का एक धुरंधर खिलाड़ी बना देगा जी है अमीर आलम खान साहब तो क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन एक मैच के दौरान मुख्य अतिथि बनकर आए एक विधायक ने उनकी टीम को जीतने के बावजूद भी हरा दिया ओर यही से अमीर आलम खान ने राजनीति में कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जिंदगी में आगे ही बढ़ते गए और वो मुकाम हासिल किया जिसको अच्छे अच्छे राजनेता ना पा सकें

सन 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय दलित कामगार पार्टी के टिकट से थानाभवन से विधायक का चुनाव लडे और जीते सन 1989 में जनता पार्टी के टिकट पर मोरना विधानसभा से चुनाव लडे और परिवहन मंत्री बने 1996में थानाभवन विधानसभा से चुनाव लडे और विधायक बने फिर उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बने 1999में कैराना लोकसभा से सांसदी का चुनाव लडे और उत्तर प्रदेश के कद्दार नेता पूर्व सांसद मुन्नवर हसन को हरा कर सांसद बने और फिर 2006 में राज्यसभा के लिए चुने गए उसके बाद उन्होंने राजनीति की बागडोर अपने पुत्र जनाब नवाजिश आलम खान को दे दी जिन्होंने अपने पिता की राजनीति साख को कायम रखा और 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट से बुढ़ाना से विधायक बने और अपने पिता का एक सच्चे पुत्र होने का भरोसा जीता और उनकी राजनीति विरासत को कायम रखा और एक सच्चे राजनेता के तौर पे आगे आए और लोगों का भरोसा जीता लेकिन अगले ही वर्ष 2013 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए दंगो ने नवाजिश आलम खान को सपा हाईकमान की नजर से अनदेखा कर दिया ओर अन्य नेताओं के द्वारा सपा हाईकमान की नजर में उनकी भूमिका को गलत तरीके से दर्शाया गया यही कारण है कि 2014 में बिजनौर लोकसभा से अमीर आलम खान का जो टिकट पक्का मिलने वाला था वह सपा हाईकमान द्वारा काट दिया गया लगातार सपा हाईकमान द्वारा नजरंदाज किए जाने के द्वारा दोनो पिता पुत्र ने सपा का दामन छोड़ 2016 में सुश्री मायावती जी की पार्टी बहुजन समाज पार्टी जॉइन की ओर 2017 में बसपा से विधायक का चुनाव लडे और तीसरे स्थान पर रहे। 2018 में शामली में ही जयंत चौधरी की मौजूदगी में दोनो पिता पुत्र ने राष्टीय लोकदल पार्टी में शामिल हुए और तब से आरएलडी में ही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में आलम परिवार का अपना अलग रशूख है। चाहे कोई भी बिरादरी हो अपनी 35 साल की राजनीति में आलम परिवार ने सब को साथ लेकर चलने का काम किया है। जो एक समाजसेवी की पहचान होती है पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भूमि पर मुस्लिम और जाटों का दबदबा है। लेकिन आलम परिवार ने दोनो ही बिरादरी का चाहे को भी मसला हो सब में एक सम्मान और जिम्मेदार लोगों की तरह बुलाया जाता है।2013 में हुए जाट मुस्लिम दंगों में इस परिवार की छवि को खूब खराब करने की कोशिश की गई तभी अपनी इस छवि दोबारा बनाने के लिए और दोनो बिरादरियो में आपसी भाईचार कायम करने के लिए अमीर आलम और नवाजिश आलम ने आरएलडी को ज्वाइन किया ताकि आपसी भाई चारा पहले की तरह कायम हो सके और आज फिर से शामली के हर वर्ग की जबान पे अगर किसी का नाम आगे चुनाव जीतने के लिए आता है तो वह नवाजिश आलम खान है जिन्होंने हर वर्ग का विश्वास जीता है। और सब के दुख दर्द में नेता नही बेटा बनकर साथ देते है। यही इस परिवार की खास बात सब नेताओं से अलग है कोरोना के काल में इन्होंने जैसे लोगो की बिना किसी लोभ लालच के मदद की वह एक मिसाल बन गई है जब अपना अपनो से हाथ छुड़ा रहा था तब ये परिवार आगे आकर गरीब लोगों को मुफ्त में राशन और जीवन जीने की सभी आवश्य चीजे उपलब्ध करा रहा था 

इस परिवार की खास बात यह है के हमने देखा है की अगर कोइ भी नेता वह किसी बड़े स्वाधानिक पद पर है। तो छोटे पद पे भी उसके परिवार का सदस्य रहता है लेकीन इस परिवार की ये बात खास है। की गढपुख्ता से चेयरमैन के पद के लिए इनके परिवार से कोई चुनाव नही लड़ था बल्कि समाज की सहमति से एक व्यक्ती चुनकर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान उसको चुनाव लड़वाया जाता है। ये परिवार बिना किसी भेदभाव के सबका साथ लेकर चल था है। और समाज किस तरह आगे बड़े उसके लिए भी अपना सम्पूर्ण योगदान दे रहा है।

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