हर अफवाह फैलाने के पीछे होता है एक मकसद
जानिए बच्चा चोर गिरोह की अफवाहों से हो रहा किन मामलों में इज़ाफ़ा
आरिफ थानवी
ज़रा मंगलवार की संभल वाली घटना पर विचार कीजिये। बच्चा चोर-बच्चा चोर और मारो-मारो का शोर मचाती भीड़, ज़मीन पर गिरे दो बेबस लोग, हर ओर से पड़ते लात घूंसे और लाठी डंडे और इसके बीच मोबाइल से वीडियो बनाते लोग। भीड़ का मात्र एक ही मक़सद, कि बच्चे के साथ गुज़र रहे इस बच्चा चोर को खत्म करना। भीड़ द्वारा मार खा रहे राम अवतार नामक व्यक्ति गिड़गिड़ाते हुए चिल्ला रहे हैं कि यह बच्चा मेरा भतीजा है। बच्चा भी रो रोकर चीख पुकार कर बोल रहा है कि इनको मत मारो यह मेरे चाचा हैं लेकिन भीड़ ने उनकी एक भी न सुनी और पीट पीटकर उनकी हत्या कर दी। हुआ वही जो देश में अलग अलग स्थानों पर कथित राष्ट्रवाद या गौ रक्षकों द्वारा हो रहा है। मगर इस बार कारण कोई नारा या गौ रक्षा नहीं बल्कि अपने लाडले बच्चों के जज़्बात थे। भीड़ द्वारा मार खाकर अपनी जान गंवा रहे पहलू खान हो या राम अवतार, भीड़ मारते हुए उनकी वीडियो भी बनाती है लेकिन कानून उनको तब भी इंसाफ नहीं दिला पाता। आरोपी खुद को रक्षक बताकर खुलेआम घूमते हैं। बुलन्दशहर में इंस्पेक्टर की हत्या के आरोपी की जमानत पर भीड़ के लोग उनका फूल मालाओं से स्वागत करते हैं और उसके साथ सेल्फियां लेते हुए नारे लगाते हैं। यह घटना हम सभी के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा करती है।
कहीं मोब लिंचिंग को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं फैलाई जा रही बच्चा चोर गिरोह की अफवाहें?
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने कहा कि बच्चा चोर गिरोह की अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध रासुका की कार्यवाही की जाएगी। साथ ही अफवाह फैलाने वाले लगभग 83 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। अगर देखा जाए तो बीते कई सालों में गौ हत्या की अफवाहों ने कई लोगों की जान ली है। उनकी हत्या करते हुए वीडियो भी बनाई जाती है। जैसे मंगलवार को संभल में भीड़ द्वारा मरने वाले राम अवतार (जिसकी हत्या करने वाली भीड़ की वीडियो भी वायरल हो रही है) को इंसाफ मिल पायेगा या उसे भी पहलू खान की तरह ''नो वन किल्ड पहलू खान'' की तरह अन्याय ही देखने को मिलेगा। बीते दिनों मुज़फ्फरनगर के खालापार क्षेत्र में एक युवक को बच्चा चोर की अफवाह पर बुरी तरह पीटा गया। समय रहते पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उक्त युवक को भीड़ से बचाया। पुलिस के सामने ही लोग उसको जान से मारने को तैयार हो रहे थे। यदि पुलिस मौके पर न पहुंचती तो उक्त युवक की भी हत्या हो सकती थी। चरथावल क्षेत्र में अफवाह फैलाई गई कि 2 महिलाओं द्वारा बच्चों को बेहोश कर बुर्के में छिपाकर ले जाया जा रहा है। लेकिन थाना प्रभारी ने तुरंत मौके पर पहुंच स्थिति संभाली और सोशल साइट्स पर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए अफवाह फैलाने वालों पर शिकंजा कसने की बात कही। मुज़फ्फरनगर में भी कई लोगों को अफवाह फैलाने के आरोप में तत्काल गिरफ्तार किया गया, अन्यथा किसी भी प्रकार की घटना गठित हो सकती थी।
अफवाह फैलाने वालों को दिया जाता है सम्मान!
हमारे देश में हमेशा अफवाह फैलाने वालों को अधिक सम्मान दिया जाता है। यदि चाय की दुकान पर बैठकर कोई भूतप्रेत, पिछल पावड़ी, आत्माओं की कहानी सुनाता है तो उसे 2-3 चाय और बीड़ी का मंडल फ्री में ही मिल जाता है। यह परंपरा काफी पुरानी है। मुज़फ्फरनगर जनपद में डेढ़ माह पहले एक अखबार में बच्चा चोर गिरोह की खबर को लीड रोल दिया था। आधे पन्ने की खबर में बच्चों की अपहरण की कहानी इस प्रकार दर्शायी गयी थी जैसे कि बच्चा चोर गिरोह के अपहरणकर्ताओं ने स्वयं अपनी जीवनी लिखकर दी हो। यदि समाचार पत्रों में ही अफवाहों को मुख्य समाचार की जगह दी जायेगी तो लोग विश्वास किस पर करेंगे?
*अफवाहों के पीछे के मुख्य कारण*
समय समय पर एक नई अफवाह फैलाई जाती है लेकिन सभी अफवाह फैलाने के पीछे एक मक़सद होता है। मुज़फ्फरनगर में सबसे ज्यादा दहशत *ब्लैड-मैन* की अफवाह पर थी। इस अफवाह के अंतर्गत लड़कियों पर ब्लेडमैन हमला करता था और बड़ी चालाकी से लड़कियों के हाथ पर वार करता था। धीरे धीरे यह मामला जनपदभर के कई क्षेत्रों से आने लगा। लड़कियों द्वारा शिकायतें दर्ज कराई जाने लगी। इसके अलावा पिछले साल ही चोटी काटने वाली चुड़ैल ने भी लड़कियों में खूब दहशत फैलाई। ब्लेडमैन या चोटी कटने के डर से लड़कियों ने घर से बाहर न निकलने का फैसला लिया। चोटी कटवा चुड़ैल से जुड़ी अफवाह को बढ़ावा इसलिए भी मिला क्योंकि अफवाह फैलाई गई कि जो महिला छोटी कटवा चुड़ैल की पीड़ित होगी, उसको सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। बस फिर क्या चोटी कटवा चुड़ैल के मामले आम हो गए और पीड़ित लड़कियों के मामले प्रकाश में आने लगे जिससे और भी दहशत फैलती गयी। पुलिस के लिए ब्लेडमैन और चुड़ैल सिरदर्द बनकर रह गए थे। दोनों मामलों को एक साथ इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि दोनों अफवाहें *"वेलेंटाइन वीक"* के दौरान की थी। उस दौरान सभी कुछ भूल सब अपने अपने घरों में ख़ौफ़ज़दा स्थिति में थे। दिल्ली का बंदर हो या सहारनपुर की चमकती आंखों वाली बिल्ली, दोनों ने ही लोगों को पूरी रात जागने पर मजबूर किया। जिससे चोरी के मामलों में अंकुश लगा। और लोगों में दहशत बनी रही। इसी प्रकार भारत में सबसे बड़ा मुद्दा है मॉब लिंचिंग का, अभी तक हत्याएं धर्म या देशभक्ति के नाम पर हो रही थी लेकिन अब भीड़ वही है, हत्यारे वही है वीडियो बनाने वाले लोग भी यही है मरने वाले पीड़ित भी वही है लेकिन हत्या का कारण बदल गया है अब लोग अपने लाडले के नाम पर हत्याएं करने को मजबूर है लेकिन सवाल यह है कि कौन है जो इन हत्याओं को बढ़ावा दे रहा है? पहलू खान के अदालती फैसले ने पूरे देश को निराश किया। क्या कानून में बदलाव की ज़रूरत है? या ज़रूरत है हत्यारी भीड़ के संरक्षकों का पता करने की?
खैर कारण कुछ भी हो हमारा आपसे अनुरोध है कि किसी भी मामले को अपनी भावनाओं से जोड़ने से पहले उसकी पुष्टि अवश्य कर लें।
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