Sunday, August 18, 2019

भोज्य सामग्री की बर्बादी से बचाकर, भुखमरी के शिकार लोगों के मददगार बने : डा .अम्बर आबिद (पी .एच .डी )

भोज्य  सामग्री की बर्बादी से बचाकर  .भुखमरी के शिकार  लोगों  के मददगार  बने : डा .अम्बर आबिद
 (पी .एच .डी .)


परिवर्तन प्रकृति का नया है और जीवन में आते निरंतर उतार चढ़ाव इस का संकेत है कि समय कभी एक समान नहीं रहता ।लेकिन जब जब कभी बदलती परिस्थितियाँ या कुछ अनियमिताएँ हमारे समक्ष आती हैं तो हम प्रायः हालात को या प्रबंधन को उस का जिम्मेदार ठहरा देते हैं।या यूँ कह लें कि 'यह मेरी ज़िम्मेदारी नहीं'यह सोच कर उसे अनदेखा कर देते हैं।
हाँ यदि हमारी किसी सुविधा या सहूलत में कमी आती है तो ज़रूर आवाज उठाते हैं,शोर मचाते हैं कि यह मेरा अधिकार है यह मुझे क्यों नहीं मिला।

ज़रा विचार करें
कि ज़िन्दगी क्या सिर्फ अपने लिए ही जीने का नाम है?
क्या जो कुछ हमारे आस पास गलत घटित हो रहा है उसे रोकना हमारा कर्तव्य नहीं?


इसलिए अत्यंत आवश्यक है कि हम में से हर एक व्यक्ति की सोच आत्मकेंद्रित न होकर व्यापक हो।तब ही समाज का सुधार सम्भव होगा।

हमारे आस पास ऐसी कई समस्याएं हैं जिन पर अब हमें गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता है नही तो परिणाम भयावह होंगे।

एक सरकारी सर्वे के  अनुसार हमारे देश में प्रतिदिन प्रत्येक आठ व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को भूखा सोना पड़ता है।

विश्व स्तर पर आकलन करें तो आँकड़े बताते हैं कि वर्तमान समय में लगभग आठ सौ सत्तर मिलियन लोग ,इस समय दुनिया में भुखमरी का शिकार हैं।

अब ध्यान दीजिए हमारे सामाजिक आयोजनों पर जहाँ हम भोज पर आमंत्रित हैं।बफ़े सिस्टम प्रणाली के चलते हम  आवश्यकता से अधिक भोज्य सामग्री अपनी थाली में परोसते हैं और पसंद न आने पर, या आवश्यकता से अधिक होने पर बड़े आराम से उसे डस्टबिन में डाल देते हैं।बल्कि यह कहना अनुचित न होगा कि हर तीन व्यक्ति एक व्यक्ति का भोजन कचरे में डाल रहे हैं।इस प्रकार हम आयोजक  के साथ  भी हम ना इंसाफी  कर रहे  हे तो वही खाद्य  सामग्री  की बर्बादी  कर मानवता  के विरुध  कार्य  कर रहे  है ।

अन्न का ऐसा निरादर हमारी भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है।
आज सीरिया, इंडोनेशिया, अफ़्रीका ,सोमालिया जैसे अनेक देश भुखमरी का शिकार हैं।कुपोषण और भूख का दानव यहाँ लोगों को निरंतर निगल रहा है।

इस परिस्थितियों को देखते हुए हम में से हर एक का यह कर्त्तव्य बनता है कि अन्न की इस  बरबादी को रोकें ।भारतीय संस्कृति के अनुरूप शांति से बैठ कर भोजन करें तथा जितनी आवश्यकता है उतनी ही भोज्य सामग्री अपनी थाली में परोसें।आप जहाँ आमन्त्रित हैं वहां आपके पास इतना समय  होता है की  आप शांति के साथ देर तक जितना चाहें भोजन करें लेकिन इसे व्यर्थ बर्बाद न करें ।स्वयं इस नियम का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।इस प्रकार  हम  अन्न  की बर्बादी  को  रोकने  में मददगार  हो सकेंगे  तो वही  हम बुख्मरी  के शिकार  लोगों  की सहायता  करने में मददगार  हो सकते है । ज़रा  सा ज़हन  उन  गरीब  यतीम  बेसहारा  भुखमरी  के शिकार लोगों की जानिब  डाल कर देखिये !  खाना (खाद्य सामग्री ) उस सर्वशक्तिमान के द्वरा दी गयी  नेअमतों  में से एक नेमत  है इस की कदर की जानी  चाहिये ।

डॉ अम्बर आबिद
भोपाल (म . प्र)

रिपोर्ट-
जिसान काजमी जलालाबाद

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