Saturday, September 28, 2019

सिया के हुए राम जनक ने रचाया सीता का स्वयंवर

सिया के हुए राम जनक ने रचाया सीता का स्वयंवर



कैराना। हर वर्ष की भांति इस वर्ष की गौशाला भवन कैराना में चल रहे श्री राम लीला महोत्सव के सातवें दिन शनिवार को राजा जनक द्वारा एलान कराया जाता है कि जो भी शंकर भगवान के धनुष को चिल्ला चढ़ाएगा वह उसी से अपनी पुत्री सीता जी का विवाह करेंगे और अपने मंत्री को आदेश देते हैं कि राजा जनक की इस ऐलान की मुनादी सारे नगरों में कराई जाए जिस पर राजा जनक के संकल्प की मुनादी कराई जाती है


 इसके उपरांत राजा जनक के महल में सीता स्वयंवर रचाया जाता है जहां पर दूर-दराज से अनेकों राजा महाराजा आदि आते हैं और शंकर भगवान के धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं परंतु कोई भी शंकर भगवान के धनुष को हिला भी नहीं पाता है तभी इसी दौरान लंका के राजा रावण शंकर भगवान के धनुष को तोड़ने के लिए वहां पर पहुंच जाते हैं जिस पर  नारायण भगवान को इस बात का पता चलता है कि रावण भी शंभू चाप तोड़ने के लिए सीता स्वयंवर में पहुंचा है और रावण शंकर भगवान का परम भक्त है वह शंकर जी का जाप तोड़ सकता है तो कपटता से आकाशवाणी कराई जाती हैं है कि रावण तेरी बहन कुम्भनी को मयदानव राक्षस उठाकर ले जा रहा है तभी रावण धनुष यज्ञ से बिना धनुष तोड़े वापस चला जाता है और कहता है कि पहले अपनी बहन की रक्षा करूंगा l किसी राजा के द्वारा शंभू चाप न तोड़े जाने पर जनक बहुत क्रोधित होते हैं और सभी को महल खाली करने का आदेश दे देते हैं वहीं दूसरी ओर सीताजी भी मन ही मन बहुत परेशान होती हैं क्रोधित जनक को देखकर लक्ष्मण जी से रुका नहीं जाता और वह जनक को खरी-खोटी सुना देते हैं जिस पर विश्वामित्र जी लक्ष्मण जी को शांत करते हैं और रामचंद्र जी को आदेश देते हैं 


कि शंकर भगवान का चाप आप तोड़कर इस कार्य को पूर्ण कीजिए और जिसके अनुपालन में श्री रामचंद्र जी गुरु विश्वामित्र जी का आदेश लेकर शंकर भगवान के चाप को तोड़ देते हैं जिस पर श्री रामचंद्र जी और सीता जी के विवाह संपन्न कराया जाता है शंकर जी के चाप को तोड़ने पर परशुराम जी को जब जानकारी होती है तो क्रोधित परशुराम जनक के महल में पहुंच जाते हैं और शंकर जी के चाप को तोड़ने वाले अपने दुश्मन के बारे में राजा जनक से पूछते हैं जिस पर लक्ष्मण जी परशुराम जी की मजाक बनाते हैं और कहते हैं कि ऐसे ऐसे धनुष हमने बचपन में बहुत तोड़े हैं और गुस्से से क्रोधित परशुराम जी गुस्से में अपनी फरसा राम लक्ष्मण की हत्या करने के लिए उठाते हैं परंतु वह अपनी फंरसा नहीं चला पाते तब उन्हें जानकारी होती है कि राम लक्ष्मण साधारण मालूम नहीं है बल्कि नारायण के अवतार हैं और नारायण से क्षमा याचना मांगते हैं 


वही रामलीला को देखने के लिए भारी संख्या में महिला और पुरुष पुरुष श्रद्धालु गण मौजूद रहे सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारी पुलिस बल तैनात रहा l मुनादी का अभिनय पंडित वीरेंद्र वशिष्ठ जनक का अभिनय ऋषि पाल शेरवाल राम का सतीश प्रजापत लक्ष्मण का राकेश प्रजापत वशिष्ठ का आशु गर्ग सीता का शिवम गोयल सखी का शिवम धीरू महाराजाओं का का का वैभव सनी पुनीत गोयल राकेश सप्रेटा प्रमोद गोयल सोनू रावण का शगुन मित्तल परशुराम का नवीन शर्मा गुड्डू ने किया l

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