Thursday, September 19, 2019

पर्दे भी नहीं रहते पराए, आशियाना में हमने उम्र गुजार दी किराये के मकानों में: रज्मी साहब मुफलीसिओ के साए में जी रहा, मशहूर शायर मुजफ्फर रज्मी का परिवार

 परिन्दे भी नहीं रहते पराये आशियाने में, और हमने उम्र गुजार दी किराये के मकानों में..!

 मुफलीसिओ के साए में जी रहा, मशहूर शायर मुजफ्फर रज्मी का परिवार



रिपोर्ट-  शमशाद चौधरी, गुलवेज सिद्दीकी कैराना 

कैराना । शायरी की दुनिया में दानवीर कर्ण की नगरी से ऊंचा मुकाम हासिल किया है। यहां के शायर की जुबान से निकला एक एक लफ्ज़ दुनिया के कोने कोने में गुनगुनाया जाता रहा है। ऐसे ही थे विख्यात शायर मरहूम मुजफ्फर रज्मी  आम आदमी से लेकर देश के प्रधानमंत्री के लोगों पर भी उनकी शायरी ने राज किया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रज्मी सहाब के शायराना अंदाज को बेहद पसंद किया और उनके शेर संसद भवन में भी गूंजे गुरुवार (आज) उनकी सातवीं बरसी मनाई जा रही है।


 मुजफ्फर रज्मी  का जन्म 1940 में कैराना के मोहल्ला बेगमपुरा में मोहम्मद इसहाक के यहां हुआ, वह 19 सितंबर 2012 में दुनिया छोड़ गए 12 साल की उम्र में मुजफ्फर रज्मी में शायरी की दुनिया में देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक नाम कमाया है। उन्होंने सैकड़ों गजलें  भी लिखी है। मुज़फ़्फ़र रज्मी अब दुनिया में तो नहीं रहे। लेकिन उनकी शायरी आज भी दिलों में ज़्यादा है। रज्मी  साहब को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2004 2011 में खुद अपने पास बुलाकर मुलाकात थी। यहीं नहीं प्रधानमंत्री उनके शेर ये जब्र भी देखा है, तारीख की नजरों ने लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई को संसद भवन में खूब कहा उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें  आश्वस्त  किया था कि सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी। लेकिन आज तक उनके परिवार को कोई सहायता नहीं मिली। 


कैराना के इस मशहूर शायर मुजफ्फर रज्मी  के पास अपना घर तक नहीं था। आज भी उनके परिवार के लोग नगर पालिका के एक घर में किराए पर रहते हैं। जब हुकूमत से कुछ मदद नहीं मिली तब उन्होंने फिर से कहा पर्दे भी नहीं रहते पराए, आशियाना में हमने उम्र गुजार दी किराये के मकानों में वह दुनिया को अलविदा कह गए पर सहायता की आश आज भी उनका परिवार रख रहा है। लोग उनके दो और शेर मांगने वाला गुन्गा था, मगर देने वाला तू भी बहरा हो गया, तथा बात को सादगी भी मत कहिए लोग कमजोरी पकड़ते हैं।


 बड़े पसंद किए गए रज्मी साहब को सऊदी अरब, दुबई, पाकिस्तान समेत कई देशों में मुशायरा में बुलाया जाता था। उनकी धर्मपत्नी शाहजहां का भी वर्ष 2014 में इंतकाल हो गया। उनके तीन लड़के जावेद इकबाल, प्रवेज जमाल, नावेद तथा तीन लड़कियां अजरा, सना, हनी यहां किराये पर रह रहे हैं, जो सरकार से मदद की आस लगाए हुए हैं।

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