Sunday, September 1, 2019

पुलिस पत्रकारो के चल रहें धरने मे उन लोगो को सामने ला रही है, जो अलग अलग सगीन धाराओ के मुकदमे मे चिनहित है, जो पुलिस को अपने अवैध धंधो की कमाई का हिस्सा पुलिस को देते है। अगर इंसाफ नही मिलता तो पत्रकार आत्महत्या करने से भी पीछे नही हटेगे जिनकी जिम्मेदार शामली पुलिस होगी।

पुलिस पत्रकारो के चल रहें धरने मे उन लोगो को सामने ला रही है, जो अलग अलग सगीन धाराओ के मुकदमे मे चिनहित है, जो पुलिस को अपने अवैध धंधो की कमाई का हिस्सा पुलिस को देते है।

अगर इंसाफ नही मिलता तो पत्रकार आत्महत्या करने से भी पीछे नही हटेगे जिनकी जिम्मेदार शामली पुलिस होगी।


             (अहसान सैफी- पत्रकार, कैराना )


शामली मे चल रहे पत्रकारो के धरने को लेकर पुलिस प्रशासन अभी अपनी कुभकरणी नीद से नही जागा है। जबकि अपनी जायज मागो व पत्रकारो के हो रहे लगातार उत्पीडन को लेकर एक ओर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ भी पत्रकारो के हितो की बात कर चुके है। लेकिन शामली जनपद की पुलिस बेखोफ बिना किसी डर के अपनी अवैध काली कमाई के सामने किसी भी कानून व किसी भी मुखिया के आदेशो का पालन नही करती नजर आ रही है। बल्कि पुलिस उन पत्रकारो की आवाज ,कलम को दबाने की कोशिश करती है, जो पुलिस की करतूत जनता व आलाधिकारियो के सामने पोल खोल कर रखते है।  पुलिस उन पत्रकारो के खिलाफ अपने ही मुखबिरो से साठ गाठ कर पत्रकारो के विरूध कोई न कोई षडयंत्र रचने मे कोई कमी नही छोडती इतना ही नही पुलिस सभी कानूनो को ताख मे रख कर उन लोगो से अपने संबन्ध बनाती है, जो जनपद मे अवैध कार्य पुलिस की जैब गर्म कर करते है। पुलिस की करनी व कथनी मे जमीन आसमान का फर्क है। पुलिस के आलाधिकारी जनता के बीज जाकर जनता के सहयोग की अपील करते है  तो वही पत्रकारो के सहयोग तथा पत्रकारो से आपसी भाई चारे की बडी बडी बात करते है। लेकिन जब वह ही अपने सरकारी आफिसो मे बैठ कर अबैध कमाई करते है, और पत्रकार उनकी काली करतूतो को सब के सामने खोलने का काम करते है, तो वह ही पत्रकारो के खिलाफ षडयंत्र रच देते है। इतना ही नही पुलिस पत्रकारो के चल रहै धरने मे उन लोगो को सामने ला रही है, जो अलग अलग सगीन धाराओ के मुकदमे मे चिनहित है, जो पुलिस को अपने अवैध धंधो की कमाई का हिस्सा पुलिस को देते है। पुलिस शायद पत्रकारो को हल्के मे ले रही जो पुलिस की बडी भूल है। पत्रकार कानून अपने हाथो मे लेना नही चाहते सयंम से काम करना चहाते है।  पत्रकार कानून के दायरे से बहार आ गया तो ये पुलिस के चमचे जो झिझाना, कैराना तथा काधला मे चोरी कै पुशुओ की खरीद फरोखत करते है, और हरियाणा, यूपी, पंजाब आदि राज्यो मे अपने गुर्गेो को छोड कर पुशुओ की चोरी करा कर मीट प्लाट तथा अपने निजी स्थानो पर अवैध पशुकटान करते है सब भागते नजर आयेगे लेकिन पत्रकार कानून का पालन करता है। ओर फिर भी पुलिस की मार झेलता है मे उन भष्ट कर्मीयो को अवगत करना चाहता हू कि अगर आप सही कार्यवाही करते है, तो जनपद की जनता को इसाफ क्यो नही दिलाते पुलिस के मुखबिर ही आजकल अवैध कारोबार कर रहे है। पुलिस उन पर क्यो कार्यवाही नही करती इसलिऐ वो कमाऊपूत है। पत्रकारो का धरना तब ही समाप्त होगा जब पत्रकारो की मागो को पूरा किया जाऐगा ओर इंसाफ मिलेगा अगर इंसाफ नही मिलता तो पत्रकार आत्महत्या करने से भी पीछे नही हटेगे जिनकी जिम्मेदार शामली पुलिस होगी। पत्रकारो के धरने मे अपना समर्थन देने के लिऐ दिल्ली के दो विधायक अपने दल बल के साथ पहुचने की तैयारी कर रहे है। पत्रकारो के धरने की आवाज दिल्ली विधानसभा मे भी गूजेगी।

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